पैसे की अजब कहानी | आदित्या आनंद (केशव) • Bihariboy02

‘पैसा’ यह वह शब्द है जो किसी भी कार्य को करने के लिए काभी हैं। वह कार्य किसी को जीवन दान दे या जीवन को विराम दें। 

कविता – पैसे की अजब कहानी

है लोभ बढ़ गया दुनिया में,
मैं जो बात करूं नादानी है।
पागल कर दे इंसान को जो,
पैसे की अजब कहानी है।

जहां रुतबा पहले ज्ञान का था,
प्रश्न आत्म सम्मान का था।
इज्जत इंसान की होती थी,
राज धर्म ईमान का था।
आज की पीढ़ी इन सब से,
एकदम ही अनजानी है।
पागल कर दे इंसान को जो,
पैसे की अजब कहानी है।

पैसा है तो सब कुछ है,
ये बात सिखाई जाती है।
दूर करे इंसान से जो,
वो किताब पढ़ाई जाती है।
है रिश्तेदारी पैसे की,
प्यार कहां रूहानी है।
पागल कर दे इंसान को जो,
पैसे की अजब कहानी है।

गरीब को मिलता न्याय कहां,
कानून तो अभी अंधा है।
पैसों से मिलता न्याय यहां,
जुर्म बन गया धंधा है।
अन्याय देख खामोश है सब,
खून बन गया पानी है।
पागल कर दे इंसान को जो,
पैसे की अजब कहानी है।

घर बड़े और दिल अब छोटे हैं,
इंसान नीयत के खोटे हैं।
भ्रष्ट हो रहे हैं अब सब,
नौकरियों के कोटे हैं।
हो कैसे उन्नति देश की,
सबके मन में बेइमानी है।
पागल कर दे इंसान को जो
पैसे की अजब कहानी है।
आदित्या आनंद (केशव) की पहली स्वरचित काव्य संग्रह पुस्तक ‘लड़का वो थोड़ा हकलाता था’
आदित्या आनंद (केशव) कहते हैं–
यह पुस्तक मेरी पहली स्वरचित पुस्तक हैं, *लड़का वो थोड़ा हकलाता था* पुस्तक में कुल 32 कविताएं हैं। लड़का वो थोड़ा हकलाता था एक ऐसी कविता हैं, जिसमे एक हकले लड़के के साथ होने वाली परेशानियों का जिक्र हैं। लड़का वो थोड़ा हकलाता था पुस्तक में चुनाव, साहूकार के कर्जदारी , दिसंबर और जनवरी, देश के भविष्य ‘छोटू’ , पुरुष , हमारा भारत महान हैं , जिंदगी , पापा मान भी जाओ , जब हो मेरी मौत , बड़ी मनहूस थी वो रात ,यें गली , कविता पाठ , चांद का दीदार जैसी और भी बेहतरीन कविताएं हैं।

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