परशुराम जयंती पर जानिए परशुराम को गहराई से | आदित्या आनंद | Aditya Anand (Keshav) | Bihariboy02 | Parshuram jayanti Par janiyen parshuram ko gahrai se.
परशुराम जयंती पर जानिए परशुराम को गहराई से
कौन थे परशुराम
आज परशुराम जी की जयंती है। इन्हें विष्णु का छठा अवतार भी माना जाता है विकट क्रोधी, मातृ-पितृ भक्त और शस्त्रविद्या के जानकर थे परशुराम जी। यह अपने पिता को अपना गुरु मानते थे। इनका जन्म बैशाख शुक्ल तृतीया को वर्तमान में इंदौर जिला (म. प्र.), मानपुर गांव के जानापाव पर्वत पर माना जाता है।
ब्राह्मण कुल में जन्मे परशुराम स्वयं को समझते थे श्रेष्ठ
परशुराम ब्राह्मण कुल से थे किंतु क्षत्रिय गुणों से पूरे थे, उसके बाद भी इन्होंने क्रोध में पूरी पृथ्वी को 21 बार क्षत्रिय विहीन किया था। हर बार केवल गर्भस्थ शिशु छोड़े थे। शंकर प्रदत्त अमोघ अस्त्र धारण करने के फलस्वरूप इनका नाम राम से परशुराम हुआ था। परशु का अर्थ होता है फरसा। परशुराम जी की क्रोध व शौर्य गाथाएं बहुत प्रचलित हैं। परशुराम जी एक पत्नीव्रत होने के पक्षधर थे। परशुराम तमोगुण शिव के परम भक्त थे। इन्होंने “शिव पंचत्वारिंशनाम स्तोत्र” की रचना की थी।
भगवान नहीं थे परशुराम
कुछ मूर्ख लोग अज्ञानतावश परशुराम जी को भगवान मानकर पूजा करते हैं। परशुराम जी सिद्धियुक्त महापुरुष थे। महर्षि ऋचीक के पौत्र और जमदग्नि के पुत्र थे। इनकी माता का नाम रेणुका था, जिसका वध अपने पिता की आज्ञानुसार स्वयं परशुराम जी ने कर दिया था। अपने पिता जमदग्नि की आज्ञानुसार अपने चार भाइयों का भी वध परशुराम जी ने किया था।
ऋषि जमदग्नि द्वारा वरदान मांगे जाने पर उन्होंने इस स्मृति को भूलने का वरदान मांगा। परशुराम जी ने महाभारत के योद्धाओं जैसे भीष्म, द्रोणाचार्य व कर्ण जैसे महानुभावों को शस्त्र विद्या भी सिखाई थी।
वे केवल ब्राह्मणों को विद्या सिखाते थे। कर्ण के बारे में यह पता चलने पर कि वे असल में क्षत्रिय हैं उन्होंने कर्ण को श्राप दिया कि वे जरूरत पड़ने पर अपनी सारी विद्या भूल जाएंगे। रामायण में सीता के स्वयंवर में भगवान राम द्वारा शिवजी का पिनाक धनुष तोड़ने पर परशुराम बहुत अधिक क्रोधित हुए थे। परशुराम जी की भेंट श्री राम के स्वयंवर में धनुष तोड़ने पर हुई थी। विष्णु अवतार श्री राम ने अपना सुदर्शन चक्र परशुराम जी को भेंट स्वरूप दिया और द्वापर में वह कृष्ण जी को परशुराम से मिला। कल्कि पुराण के अनुसार परशुराम भगवान विष्णु के दशम अवतार कल्कि के गुरु होंगे।
गणेश जी का दंत भी परशुराम ने तोड़ा था
अपार क्रोध वाले परशुराम का एक बार देवता गणेश जी से युद्ध हुआ और उस युद्ध में गणेश जी का दांत टूटने से सदा के लिए वे एकदंत कहलाये। इसका विवरण ब्रम्हवैवर्त पुराण में एक स्थान पर मिलता है।
कहा जाता है कि, परशुराम ने तीर चलाकर गुजरात से केरल तक कि भूमि का निर्माण किया इसलिए आज भी केरल, गोवा, कोंकण में परशुराम जी की पूजा-अर्चना की जाती है। जिस कबीर परमेश्वर ने छह दिन में सृष्टि की रचना की और सातवें दिन तख्त पर जा विराजा उसे न पहचान कर मुर्ख लोग थोड़ी सी सिद्धि प्राप्त देवताओं और सिद्धि युक्त अवतारों को पूजते हैं जिनसे इन्हें कुछ भी लाभ नहीं होता। पूर्ण परमात्मा (कबीर साहेब) ने ही सम्पूर्ण सृष्टि की रचना की है जिसका प्रमाण चारों वेद, गीता जी, कबीर सागर आदि ग्रंथों में भी वर्णित है।
क्या तप करना है उत्तम?
कबीर परमेश्वर जी बताते हैं सिद्धियां कठोर तप के कारण मिलती हैं। कठोर तप करने से साधक में कई सिद्धियां आ जाती हैं। फिर साधक अपने तुल्य किसी को नहीं समझता और अंहकार में घूमता फिरता है। जबकि सभी वेद और गीता हठयोग न करने का ज्ञान देते हैं। हठ योग व्यक्ति को परमात्मा से दूर कर देता है। हठयोग से सिद्धियां मिलने के कारण व्यक्ति की संसार में महिमा तो बन जाती है परंतु वह परमात्मा से मिलने वाले गुणों से सदा दूर ही रहता है। आदरणीय सन्त गरीबदास जी महाराज ने भी अपने सतग्रन्थ साहेब में तप करना गलत बताया है।
गीता अध्याय
गीता अध्याय 17 के श्लोक व 6 में शास्त्रविरुद्ध घोर तप को तपने वाले अज्ञानी, दम्भी, अहंकारी एवं आसुर स्वभाव के कहे गए हैं। परशुराम जी ने भी जिस प्रकार 21 बार केवल गर्भस्थ शिशुओं को छोड़ा एवं पूरी पृथ्वी अपने क्रोध में क्षत्रिय विहीन कर दी यह उनकी निर्दयता को दर्शाता है। कबीर सागर के “जीव धर्म बोध” के पृष्ठ संख्या 105 पर यह प्रमाण लिखित है;
परसुराम तब द्विज कुल होई | परम शत्रु क्षत्रीन का सोई ||
क्षत्री मार निक्षत्री कीन्हें | सब कर्म करें कमीने ||
ताके गुण ब्राम्हण गावैं | विष्णु अवतार बता सराहवें ||
हनिवर द्वीप का राजा जोई | हनुमान का नाना सोई ||
क्षत्री चक्रवर्त नाम पदधारा | परसुराम को ताने मारा ||
परशुराम का सब गुण गावैं | ताका नाश नहीं बतावैं ||
परशुराम का वध किसने किया?
परशुराम अति क्रोधी स्वभाव के थे। एक बार ब्राह्मणों और क्षत्रियों के बीच युद्ध हुआ जिसमें ब्राह्मणों की हार हुई। जिसका बदला लेने के लिए परशुराम जी ने लाखों क्षत्रियों को मार डाला। एक समय हनिवर द्वीप के राजा चक्रवर्त, जो हनुमान जी के नाना जी थे, परशुराम जी का उनसे युद्ध हुआ। राजा चक्रवर्त ने परशुराम को युद्ध में हरा दिया और वध किया।
आदित्या आनंद (केशव) की पहली स्वराचित काव्य संग्रह पुस्तक ‘लड़का वो थोड़ा हकलाता था’
आदित्या आनंद (केशव) कहते हैं–
यह पुस्तक मेरी पहली स्वरचित पुस्तक हैं, *लड़का वो थोड़ा हकलाता था* पुस्तक में कुल 32 कविताएं हैं। लड़का वो थोड़ा हकलाता था एक ऐसी कविता हैं, जिसमे एक हकले लड़के के साथ होने वाली परेशानियों का जिक्र हैं। लड़का वो थोड़ा हकलाता था पुस्तक में चुनाव, साहूकार के कर्जदारी
, दिसंबर और जनवरी, देश के भविष्य ‘छोटू’
, पुरुष
, हमारा भारत महान हैं
, जिंदगी
, पापा मान भी जाओ
, जब हो मेरी मौत
, बड़ी मनहूस थी वो रात ,यें गली
, कविता पाठ
, चांद का दीदार
जैसी और भी बेहतरीन कविताएं हैं।
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