kya batayen | BihariBoy02 | Aditya Aanand (Keshav)

"क्या बताएं लौटकर नौकरी से क्या लाए, घर से जवानी ले गए थे लौटकर बुढ़ापा लाए"
- मानवीय संवेदना को झकझोरने वाली ये पंक्तियां पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत पोटका थाना क्षेत्र के रोलडीह गांव निवासी निरोद वरण गोप पर सटीक बैठती है ।
सरकारी नौकरी पा लेने की ख्वाहिश आज के दौर में तकरीबन हर युवा की होती है। चपरासी अथवा ग्रुप डी की भी बहाली हो तो भारी भरकम डिग्री धारी युवाओं की फौज उमड़ पड़ती है लेकिन दशकों तक उसी सरकारी नौकरी को करने के बाद जब • कोई खाली हाथ घर वापस लौटे तो उसकी मानसिक स्थिति क्या होगी इसका अंदाजा आसानी से नहीं लगाया जा सकता। संभवत: कुछ ऐसी ही मानसिक स्थिति से गुजर रहे रोलडीह गांव निवासी 60 वर्षीय निरोद वरण गोप ने मंगलवार को गले में रस्सी का फंदा डालकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। बुधवार को उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। भले ही गोप ने खुदकुशी का मार्ग चुनकर अपनी कठिनाइयों एवं विपत्तियों से मुक्ति पा लिया पर अपने पीछे वे कई अनुत्तरित सवाल छोड़ गए। ये सवाल उनके सहकर्मियों एवं आम लोगों को कुरेद रहे हैं।



•इस आर्टिकल को लिखा हैंआदित्या आनंद (केशव)

आदित्या आनंद (केशव) की पहली स्वरचित काव्य संग्रह पुस्तक ‘लड़का वो थोड़ा हकलाता था’

आदित्या आनंद (केशव) कहते हैं–

यह पुस्तक मेरी पहली स्वरचित पुस्तक हैं, *लड़का वो थोड़ा हकलाता था* पुस्तक में कुल 32 कविताएं हैं। लड़का वो थोड़ा हकलाता था एक ऐसी कविता हैं, जिसमे एक हकले लड़के के साथ होने वाली परेशानियों का जिक्र हैं। लड़का वो थोड़ा हकलाता था पुस्तक में चुनाव, साहूकार के कर्जदारी , दिसंबर और जनवरी, देश के भविष्य ‘छोटू’ , पुरुष , हमारा भारत महान हैं , जिंदगी , पापा मान भी जाओ , जब हो मेरी मौत , बड़ी मनहूस थी वो रात ,यें गली , कविता पाठ , चांद का दीदार जैसी और भी बेहतरीन कविताएं हैं।


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