छठ महापर्व कविता

छठ महापर्व कविता













हां जी भईया
सब ठीक ठाक
महापर्व छठ आ रहा हैं
मुझे घर जाना हैं।

क्या??
घर जाना जरूरी हैं क्या?

हां! इस बार
घरे जाना जरूरी हैं
क्यूं की छठ आ रहा हैं
इसलिए घरे जाना जरूरी हैं

छठ सिर्फ कोई पर्व नही
छठ के साथ जुड़ा इमोसन हैं हमारा
इसलिए घरे जाना जरूरी हैं

मैया की अखियां
रास्ता देख रही होगी हमारा
इसलिए घरे जाना जरूरी हैं

छठ घाट का रौनक
वो टिमटिमाता हुआ सौंदर्य
घाट का वो डीजे वाला शोर
सबको हम बहूते मिस करते हैं
इसलिए घरे जाना जरूरी हैं

बचपना मेरा जिनके साथ गुजरा हैं
उन सबसे मिलने का एगो ई बहाना हैं
इसलिए घरे जाना जरूरी हैं

पछियारी टोला पर 
एक चांद रहती हैं
वो चांद सिर्फ 
इस चकोर को देखने
छठ घाट आती हैं
उसके विश्वास को 
जिंदा रखना जरूरी हैं
इसलिए घरे जाना जरूरी हैं

छठ अरघ को माथे पर उठा
बेटा ही छठ घाट ले कर जाता हैं
इस आस्था को बनाए रखना जरूरी हैं
इसीलिए घरे जाना जरूरी हैं

मैया तीन दिना निर्जला उपवास रखती हैं
मैया का हौसला बढ़ाना जरूरी हैं
इसलिए घरे जाना जरूरी हैं

पापा से अब सब चीज नही होता हैं
और अपना घाट अपने से सजाना पड़ता हैं
इसलिए घरे जाना जरूरी हैं

छठ दिना गंगा घाट का चमक गजब होता हैं
ई चमक को बरकार रखना जरूरी हैं
इसलिए घरे जाना जरूरी हैं

सीतामढ़ी का जो छठ घाट होता हैं
उसमे अजबे बात होता हैं
ऊ चाहे! लखनदेव वाला बांध हो
या केलाशपुरी वाला छठ घाट हो
ऊ बात का मुझे व्याख्या करना हैं
इसलिए घरे जाना जरूरी हैं

भोरखा घाट दिना जब पारण होता हैं
फिर हमारी मैया तीन दिना बाद
अन्न का दाना अपने निवाले में रखती हैं
फिर मैया के जूठे थाली में
हम अपना भोजन करते हैं
और इस परंपरा को जिंदा रखना जरूरी हैं
इसलिए घरे जाना जरूरी हैं

छठ को पर्व
कोई नही बोलता हैं 
हमारे यहां 
छठ को हम महापर्व मानते हैं
इसलिए घरे जाना जरूरी हैं

जितना उगते सूर्य को हम मानते हैं
उतना ही डूबते सूर्य को हम सम्मान करते हैं
इसलिए घरे जाना जरूरी हैं

छठ महापर्व यह कोई पर्व नही
हम पूर्वांचल वासियों के लिए गर्व हैं
इसलिए घरे जाना जरूरी हैं।

#chhathpuja #keshav #bihar



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